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आज की युवा शक्ति से आशाये



हे युवा जागो युवा, सम्मान से सदभाव से
देश को संपन्न करो, आत्मीयता के भाव से

सदभाव से जीने का हरदम, इक नया विश्वास दो
मां भारती के प्राणों को, अब तुम इक नयी सांस दो

सब कदम मिलाकर बढ़ सकें, इसमें सबका साथ दो
धरती पर खुशहाली आये, इसके लिए आलस्य त्याग दो

सब सुखी रहे, सत्कर्म बढ़े, यह प्रण हमको लेना होगा
दुनिया भर को खुशहाली का, यह बीजमंत्र देना होगा

दो स्नेह का संरक्षण, एक नई बन पड़े
हो सवेरा इस तरह, बिन तेल दिया अब जल उठे
                                                 तुम मिटा दो वह अंधेरा जो, सबका अपमान करे
                                                 नई पीढ़ी हो ऐसी, जो सबका सम्मान करे

हर लम्हे को जीने का, अधिकार सबको मिल सके
सच्चाई वाले कामों का, पुरस्कार सबको मिल सके
पैदा करो वह ललक, जो बदल दे समाज को
हर बुराई मिटा दो तुम, अब नए अंदाज से

भारत को अपनी मां मानों, संविधान पिता समान है
माता की जय बोलने में, कहां कोई अपमान है।
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