पूस की ठंड में गर्मी का इंतजाम
पूस की ठंड में गर्मी का इंतजाम


इससे पहले भी विधानसभा चुनाव व लोकसभा चुनाव में मुलायम अखिलेश यादव व पार्टी की औकात देख चुके जब अखिलेश के नेतृत्व में लड़ा गया विधानसभा चुनाव तो सपा जीत गयी। लेकिन पार्टी के नेतृत्व में लड़ा गया लोकसभा चुनाव बुरी तरह से हार गयी। रही सही कसर कल निष्कासन के बाद लखनऊ में उमड़े अखिलेश समर्थकों ने पूरा कर दिया। लेकिन फिर भी मीडिया का दिमाग अलग ही चल रहा था। वह अब भी अंदेशे में था कि क्या होगा। लेकिन मुलायम सिंह याद जेठ की दुपहरी की तरह तपने के बाद पूस की ऐसी रात जैसे निढाल पड़े कि बेटा उनसे ज्यादा संस्कारवान नजर आने लगा। अब मुलायम जी करते भी क्या ?
और फिर दोपहर तक वही हुआ जिसका अंदेशा राजनीति की समझ न रखने वाले हम जैसे लोग करते है। मतलब है कि सुबह का भूला शाम को घर आ जाए तो उसे भूला नही कहते भाई। अब सारे एक हो गए। दिन के बारह बज चुके थे सबकी समझ में आ गया कि अलग-अलग राह से मंजिल की तरफ न बढ़ो। चकरोट बनाने से ज्यादा बेहतर है कि हाइवे बनाओं। इसके साथ ही मुलायम के बारे में कहावत भी पूरी हो गयी। मन से हैं मुलायम इरादे लोहा हैं। साकार हो गयी, इरादा तो पुत्र को उसकी औकात दिखाना था लेकिन मन के आगे हार गए ?
अभी तो बस बुलबुला उठा है नेताजी
तूफान तो चुनाव के बाद आयेगा
उसका सामना करने के लिए पूरे समाजवादी परिवार को तैयार रहना चाहिए
वैसे नौटंकी बहुत अच्छी करते हैं सैफई वाले
पता नही नौटंकी है या सफेड़ा(यादवों के बीच प्रसिद्ध नृत्य)
तूफान तो चुनाव के बाद आयेगा
उसका सामना करने के लिए पूरे समाजवादी परिवार को तैयार रहना चाहिए
वैसे नौटंकी बहुत अच्छी करते हैं सैफई वाले
पता नही नौटंकी है या सफेड़ा(यादवों के बीच प्रसिद्ध नृत्य)
खैर समाजवाद में उतार चढ़ाव तो आते रहते हैं, अभी कुछ कहा नही जा सकता है। कुछ भी हो सकता है।