ज्ञान की शिक्षा के लिए जरूरी परिवीक्षा

महात्मा गांधी जी का एक सुन्दर सा वाक्य है कि तपस्या धर्म का पहला और आखिरी कदम है। धर्म के अनुष्ठान, प्रचार, प्रसार के लिए और मानव को उसकी असलियत से परिचित कराने के लिए अखिल विश्व गायत्री परिवार और उसकी मानव गढ़ने की टकसाल देव संस्कृति विश्वविद्यालय पिछले 15 सालो से लगातार मेहनत कर रही है।

तो जैसा कि पहले ही महात्मा गांधी जी ने कहा है बात एक दम सच है कि कैसा भी धर्म हो चाहे पितृधर्म हो, पुत्रधर्म हो, शिष्यधर्म हो, पतिधर्म हो, पत्नीधर्म हो किसी भी धर्म को अगर हमें परिणति तक ले जाना है तो तपस्या ही एक और अखिरी मार्ग है। इसके बिना हम कुछ नही कर सकते। इसी तरह की तपस्चर्या से रूबरू कराने के लिए देव संस्कृति विश्वविद्यालय अपनी टकसाल में पल रहे मानवों को इंटर्नशिप पर भेजती है। हमें भी ऐसे ही एक प्रशिक्षण पर मनमोहन नगर शक्तिपीठ जबलपुर, मध्य प्रदेश में हम तीन लोग सचिन, शेष, और मुझे जबलपुर आने का मौका मिला है।
पहला दिन 5.1.2017
शुरूआत...
मनमोहन नगर शक्तिपीठ के युवा प्रकोष्ठ के प्रभारी कमल राय भैया जी के निर्देशन व शक्तिपीठ के ही भाष्कर तिवारी के निर्देशन में मैं, शेष शुक्ला व सचिन तोमर को हमारे पहले कार्यक्रम व अनुभव की शुरुआत करनी थी। कचनार सिटी के डाॅ बी बी एल अधौलिया जी की स्वर्गवासी धर्मपत्नी के जन्मदिन पर उनके सुपुत्र ने अपने घर में यज्ञ का कार्यक्रम रखा था। तो हम सब वहां यज्ञ करवाने गए। अब तक शांतिकुंज व गायत्रीकुंज में यज्ञ तो खूब सारे किए थे, लेकिन अपने द्वारा यज्ञ करवाने का यह पहला अनुभव था। हम सब ने मिलकर यज्ञ करवाया।
शाम को वृद्धाश्रम में...


सबसे शानदार अनुभव शाम का रहा। आधुनिक युग में जहां लोग जन्मदिन मनाने के लिए खूब सारा खर्च करते हैं लेकिन दुनिया में ऐसे लोगों की कमी कहां है जो अच्छा सोंचते हैं, करते हैं। इसी को साकार कर रहे हैं अधोलिया जी के ही सुपुत्र जी। माता जी के जन्मदिन तामझाम के साथ मनाने की जगह उन्होने जबलपुर रेडक्रास सोसाइटी द्वारा संचालित वृद्धाश्रम में मनाने का फैसला किया। वहां पर दीपयज्ञ करवाया और बुढ़ापे दंश झेल रहे लोगों से मिलने का सौभाग्य मिला। ऐसे लोगों के मिला जिन्हे कि घरवालों ने निकाल दिया है और अब उन्हे रेडक्रास सोसाइटी ने सहारा दिया है। बड़ा ही भावुक अनुभव रहा आश्रम का। ऐसा लगा जैसे कि अपनो के बीच में पहुंच गया हूं। साथ ही भगवान के प्रति भरोसा भी जागा कि इस चराचर जगत के रिश्ते नाते भले ही इंसान को छोड़ दें लेकिन वह किसी को नही छोड़ता है। वह सबके खाने पीने और रहने की व्यवस्था करता है। खैर उन सबने हमारे कार्यक्रम में काफी सक्रिय भूमिका निभाई। काफी खुश हुए सब लोग।
शाम नर्मदा के तट पर...
वृद्धाश्रम से वापस लौटते समय तय हुआ कि सब लोग नर्मदा नदी के किनारे स्थिति तिलवारा घाट चलेंगे। हम वहां भी गए। घाट के ऊपर से भारत का सबसे लंबा राजमार्ग एन एच सात गया है। जो बनारस से कन्याकुमारी को जोड़ता है। शक्तिपीठ के भैया लोग और दीदी लोग गए और वहां घाटों पर रहने वाले लोगों के बीच में प्रसाद स्वरूप खिचड़ी का वितरण हुआ। काफी अच्छा लगा। मन एकदम शान्त अनुभव करने लगा नर्मदा के तट पर। उससे भी ज्यादा शांति मिली मछलियों को आटा खिलाकर।
क्रमशः...