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नकारात्मक विचारों के दलदल से यूं बचें...

नकारात्मक विचारों के दलदल से यूं बचें...
वर्तमान समय में मनुष्य आधुनिकतावादी तकनीकि से घिरा हुआ है। आधुनिक जीवन शैली ने आज उसे पूरी तरह से प्रभावित कर दिया है। एक तरह से वह आज तकनीकि निर्भर हो गया है। एक समय वह भी था जब मानसिक रोगों से ग्रसित होने वालों की संख्या कम थी। लेकिन बदलते समय के साथ आज हर उम्र, वर्ग के लोगों में मानसिक समस्याओं के लक्षण पूरी साफगोई के साथ नजर आते हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं, बहुत जल्दी बहुत कुछ पाने और धैर्य रखने की क्षमता खोते मनुष्य के मस्तिष्क पर वर्तमान में नकारात्मक विचार गहरा प्रभाव डाल रहे हैं। उन्ही नकारात्मक विचारों से बचने और देश समाज के लिए कुछ अच्छा करने के लिए कई सारे उपाय हैं जिन पर आगे चर्चा की जायेगी।

जल्दी उठने की आदत
    वर्तमान समय में भारतीय लोगांे का रहन सहन पश्चिमी देशों से काफी प्रभावित है। हमारा उठना, सोना ये सभी बदल चुका है। सुबह जल्दी उठने की आदत हमारे शरीर को स्वस्थ और तरोताजा रखने में सहायक सिद्ध होता है। सुबह उठकर टहलने और प्रकृति के संसाधनों के निकट जाने से हमारे मस्तिष्क में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह में आने पर हमारे मन में भी उन विचारों का प्रवाह होता है। इससे हमारी मनःस्थिति सकारात्मकता में बदल जाती है। 
योग प्राणायाम का करें अभ्यास
    सुबह जल्दी उठने के बाद कुछ समय शारीरिक व्यायाम के लिए जरूर निकालें। प्रतिदिन लगभग आधे घंटे योग, प्राणायाम का अभ्यास करने से हमारा शरीर क्रियाशील रहेगा। यथासंभव इन क्रियाओं को खुले स्थान में करने का प्रयास करें। इससे आपकों सूर्य की प्रातःकाल की उदयाचल की ऊर्जा मिलेगी जिससे कि हमारें मस्तिष्क के अंदर भरी पड़ी नकारात्मक तरंगों की शक्ति क्षीण होगी फलस्वरूप हमारे मस्तिष्क में मौजूद सकारात्मक तंतुओं का विकास होगा। और हम पहले की अपेक्षा सकारात्मक फील कर सकेंगे।
सुपाच्य आहार है आवश्यक
    मस्तिष्क के अंदर फूटने वाले नकारात्मक विचारों के ज्वालामुखी का एक सबसे बड़ा कारण आधुनिक जीवन में व्याप्त असंतुलित खान-पान है। पिज्जा, बर्गर, फास्टफूड से हमारा पेट तो भर जाता है, परन्तु भोजन की गुणवत्ता से हम वंचित रह जाते है। फास्टफूड सही तरीके से पच नही पाता, परिणामस्वरूप जब पेट सही नही होता तो दिमाग भी सही तरीके से अपना कार्य नही करता। पाचन क्रिया असंतुलित होने पर नींद नही आती। जिससे हमारे सोंच में सकारात्मकता का अभाव पैदा होने लगता है। खाने में हमें कोशिश करनी चाहिए कि ज्यादा से ज्यादा मौसमी फलों और सब्जियों का सेवन करें। साथ ही नियमित रूप से दूध, दही का सेवन हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है परिणामस्वरूप शरीर में स्ुूर्ति का संचार होता है। और हम स्वस्थ व तरोताजा महसूस करते हैं। जब हम शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ रहते हैं तो विचारों में परिवर्तन आना स्वाभाविक हो जाता है। 
पानी से ना करें परहेज
    पानी हमारे शरीर के लिए खाना से भी ज्यादा आवश्यक है। प्रतिदिन औसतन एक व्यक्ति को 5 से 6 लीटर पानी पीना चाहिए। जितना ज्यादा पानी का सेवन किया जायेगा शरीर में उतनी ही आॅक्सीजन की मात्रा बढ़ेगी, जिससे हमारा दिमाग सक्रिय रहेगा तथा अवसाद से दूर रहेगा। साथ ही पानी शरीर के रक्त संचरण को भी संतुलित करने व उसे साफ करने में सहायक होता है। और शरीर में प्रतिदिन बनने वाले मल को मूत्रमार्ग से बाहर भी कर देता है।
पूर्वाग्रह से बचें


    कहते है ‘खाली दिमाग शैतान का घर होता है’ अक्सर पूर्वाग्रह में पड़कर हमारे दिमाग में नकरात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। कई बार हम सामने वाले को ठीक से समझते नही हैं। और उसके बारे में गलत या सही विचारधारा बना कर बैठ जाते है। परिणाम स्वरूप हमारा दिमाग उसके कार्यो की समीक्षा में लग जाता है। इससे बचने के लिए आवश्यक है, कि सही व्यक्ति को पहचान कर उसके बारे में विचार करें।
सकारात्मक विचारों की गंगा में करें स्नान
    प्रतिदिन एक नियम बना लें कि आज एक सकारात्मक व प्रोत्साहित करने वाले वाक्य को पढ़ेंगे और पूरे दिन उसका चिंतन करंेगे। आवश्यक हो तो अकेले उस गंगा में नहाये, उपलब्धता के आधार पर समूह का भी निर्माण कर सकते हैं। परिणामस्वरूप जब आप पूरे दिन सकारात्मक विचारों के बीच रहेंगे तो पायेंगे कि नकारात्मक विचार अपने आप आप से दूर जा रहे हैं।
नकारात्मक क्रियाकलापों से बचें
    अपने आस पास हो रहे नकारात्मक क्रियाकलापों से दूर रहें और उन्हे खत्म करने की कोशिश करें। कई जाने अनजाने में हमसे गलतियां हो जाती हैं, परिणामस्वरूप उन गलतियों के लिए हम पछतावा करते हैं। और समय समय पर वह गलती हमें याद आती हैं जिससे हमारा मस्तिष्क तनाव ग्रसित हो जाता है। हमें चाहिए कि अगर हमसे कोई गलती हो जाती है तो संबंधित व्यक्ति से क्षमा मांग लें या फिर उसका प्रायश्चित करें। प्रण लें कि यह गलती अब नही दोहरायेंगे। उस पर चिंता करने के बजाए चिंतन को महत्व दें।
हर पल खुश रहें
    भागदौड़ भरे इस युग में आज लोग बड़ी खुशियों को हासिल करने के चक्कर में इतना उलझ गये हैं कि सामने आ रही छोटी-छोटी खुशियां उन्हे दिखती ही नही हैं। खुशियों की चाहत जरूर रखें पर ये ना भूलें कि बूंद बूंद से घड़ा भरता है। मतलब बड़ी खुशी के आस में उदास बैठने से ज्यादा अच्छा है कि जीवन के प्रत्येक क्षण को जी भर के जिये, क्योंकि जब ये बीत जाती हैं तो लौटती नही हैं।

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