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घरेलू कचरा : समस्या से समाधान तक



घरेलू कचरा : समस्या से समाधान तक

आज समूचे देश की मिटटी, पानी और हवा घरेलू कचरे से प्रदूषित हो रही है रोज हजारों टन की मात्रा में फेंके जा रहे घरेलू कचरे से होने वाला प्रदूषण इतना बढ़ गया है कि, हमारी लाख कोशिशों और पाबंदियों के बावजूद भी इस से होने वाली समस्याओं का समाधान नहीं मिल पा रहा है। शहरों में घरेलू कचरा आज एक बड़ी समस्या के रूप में अवतरित हो चुका है। 

 रोजाना घरों, होटलों और अन्य व्यवसायिक स्थानों से लाखों टन कचरा उत्पन्न होता है जिसमें कागज, गत्ते, कांच, प्लास्टिक, पॉलिथीन के पैकेट, धातुएं, सड़ी-गली सब्जियां, और अन्य तरह के सामान शामिल होते हैं। नगर निगम, नगर पालिकाओं के द्वारा शहर के विभिन्न स्थानों पर इस कचरे को डस्टबिन रखकर इकठ्ठा किया जाता है, और फिर शहर से बाहर एक निश्चित स्थान पर फेंक दिया जाता है जहाँ यह सड़ता रहता है। घरों से रोजाना उपयोग के बाद निकलने वाले इस कचरे के सड़ने पर दुर्गन्ध उत्पन्न होती है, साथ ही भिन्न प्रकार के कीट जैसे मक्खी, मच्छर आदि पनपते हैं। इससे पैदा होने वाले बैक्टीरिया और वायरस हवा और पानी में में घुलकर न केवल महानगरों में बल्कि छोटे-छोटे कस्बों में भी भिन्न-भिन्न तरह के जानलेवा संक्रामक रोगों का कारण बनते हैं। 

आज स्थिति यह बन चुकी है कि, जैसे-जैसे हम स्वच्छता और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होते जा रहे हैं उसी गति से इसकी बुनियादी बातों को दर्शाने वाले नागरिक कर्तव्यों से कोसों दूर भाग रहे हैं। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 के अनुसार 'कोई भी व्यक्ति स्वयं से उत्पन्न कचरे को अपने परिसर के बाहर सड़कों, खुले सार्वजनिक स्थलों पर, नाली या जलीय क्षेत्रों में न तो फेंकेगा और न ही जलाएगा या दफनायेगा' लेकिन शहर में इसकी धज्जियाँ उड़ाते दृश्य आम है।

घरेलू कचरे को इकठ्ठा करना, अलग करना, तय समय और स्थान पर फेंकने की पहली जिम्मेदारी आम लोगों पर होती है। उन पर यह दायित्व होता है कि, वह घरेलू कचरे को ठीक से एकत्र करे और उसे अलग करें क्यूंकि मिश्रित कचरे का प्रबंधन सही से नहीं हो सकता। साथ ही तयशुदा स्थान पर रखी डस्टबिन में डालें, तभी उस कचरे के निपटान का सही तरीका निर्धारित हो सकता है। इसके बाद नगर निगम की जिम्मेदारी आती है कि, डस्टबिन की उपलब्धता में कमी न हो, डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण करें, कचरे को उठाकर फेंकने के बजाय उसके प्रबंधन पर काम करें।

इसमें कचरे के प्रबंधन को लेकर भिन्न कार्य शामिल हो सकते हैं जिनमे कचरे से खाली गड्ढों को भरना, कंपोस्टिंग करने जैसे कार्य शामिल हो सकते हैं। साथ ही साथ प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन के लिए पुनर्चक्रण की विधियां अपनायी जा सकती है, कुछ विधियों द्वारा राजस्व भी प्राप्त किया जा सकता है, जिनमे खाद बनाकर बेंचना, ऊर्जा निर्माण करने जैसे कार्य शामिल हैं। 

अंततः इस समस्या से निपटने के लिए एक ही बात समझ आती है कि, जब तक आम जनमानस के दिमाग में यह बात नहीं घुसेगी कि बाहर फेंकें गए कचरे के सड़ने पर होने वाली बीमारियाँ उनके ही स्वास्थ्य को हानि पहुंचाएंगी तब तक इसका स्थाई समाधान नहीं निकल सकता। कचरा को उत्पन्न होने से तो नहीं रोका जा सकता लेकिन उसके प्रबंधन के द्वारा समाधान जरूर निकाला जा सकता है।
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