खैर मामला प्रेम प्रसंग का हो या कुछ और, लेकिन जिस तरह से रात के 11 बजे देश के गतिशील राष्ट्रीय राज्यमार्ग 58 पर इस घटना को अंजाम दिया गया उसने एकबार फिर कानून व्यवस्था पर उंगली उठा दी है। इस घटना ने एक फिर से बुलंदशहर और जेवर जैसी घटनाओं की याद दिला दी। साथ ही यह चेतावनी भी की पुलिसिया दंभ का कोई भी असर पश्चिम के अपराधियों पर नहीं पड़ रहा है।
बुलंदशहर हाईवे पर घटी घटना से सबक लेते हुए हालांकि तत्कालीन सपा सरकार ने हाईवे सुरक्षा प्लान बनाया। जिसमें बताया गया कि राष्ट्रीय राज्यमार्गों पर प्रत्येक ढाई किमी की दूरी पर पुलिस की गाड़ी रहेगी।
रात्रि सुरक्षा के लिए यह प्लान रात नौ बजे से सुबह छह बजे तक हाईवे और मुख्य मार्गों पर लागू रहेगा। रात में कोई परिवार यदि असुरक्षित महसूस करता है तो वह पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना दे।
सुरक्षा प्लान में साफ तौर से कहा गया की कंट्रोल रूम से यूपी 100 और थाना पुलिस उन्हें पिकअप करेगी। दूसरे जिले की सीमा में पहुंचने पर वहां की पुलिस को परिवार की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी जाएगी। चेकिंग प्वाइंटों पर निर्देश दिए गए कि रात में तीन चार वाहनों को ही एक साथ आने-जाने दिया जाए। इसके लिए प्रत्येक थाने में रात्रि में एक दरोगा की भी ड्यूटी अनिवार्य की गई।
लेकिन अपने मुंह मिया मिट्ठू बना यह प्लान कागजों पर ही अपनी चमक दिखा सका। धरातल पर न तो यह प्लान काम करता दिखाई दिया और न ही इन प्लान बक असर। सरकार की बेरुखी और विभागीय उपेक्षा के चलते यह प्लान धूल फांक रहा है। हाईवे पर लूटमार की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं बावजूद इसके पुलिस अपने आपको प्रदेश में एनकाउंटर का बादशाह घोषित करने में लगी है। जबकि सच्चाई यही है कि बड़े अपराधियों को निपटाने के चक्कर में पुलिस छोटे अपराधियों को उपेक्षित कर रही है जिससे उनके हौसले बुलंद हो रहे हैं।
राष्ट्रीय राज्यमार्ग पर घटी इस घटना में एक और तथ्य सामने निकलकर आया। दूल्हे शाहवेज ने बताया कि जिस समय उनके साथ लूटपाट हो रही थी उस समय उन्होंने आसपास से गुजर रहे वाहनों से मदद के लिए गुहार लगाई। पर कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आया। जबकि घटनास्थल से कुछ ही दूरी पर दौराला थाना मौजूद है। ऐसे में न तो किसी ने वहां रुककर उनकी मदद करने की कोशिश की और न ही थाने में पुलिस को सूचना देने की जहमत उठाई।
इस घटना के पीछे वजह कोई भी हो लेकिन जिस तरह से हाईवे पर लूटपाट के बाद हत्या कर दशहत फैलाई गई वह प्रदेश कानून व्यवस्था और बदमाशों में पुलिस ले खौफ का मखौल उड़ा रही है। साथ ही हमें एक सबक दिया कि हम एक संवेदनहीन और कायर समाज में जी रहे हैं। जहां चंद गुंडे हमें एक एक कर निशाना बनाते रहते जबकि हम कायरों का झुंड अपनी जान बचाने के लिए पुलिस प्रशासन और सरकार की दुहाई देता रहता है।