जल ही जीवन है इसे बचाओ नहीं तो मरना तय है
पृथ्वी पर मानव को प्रकृति द्वारा प्रदत्त अमूल्य उपहारों में से भी प्रमुख तत्व है। कहते हैं जल है तो कल है। हमारे शरीर के निर्माण भी जल की प्रमुख भूमिका रही है। लेकिन कटु सत्य यह भी है कि जिस प्रकृति के बनाए नियमों के दायरे में रहकर हमारा जीवन चल रहा है, आज सबसे ज्यादा उपेक्षा हम उसी की कर रहे हैं। वर्तमान में दुनिया तमाम संकटों का सामना कर रही है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि देश इस समय पीने के पानी की सर्वव्यापी समस्या से जूझ रहा है। जागरूकता और संसाधनों के अभाव मे वे दूषित पानी पीने को मजबूर हैं। इसकी वजह से उनका जीवन और आजीविका खतरे में है। रिपोर्ट में बताया गया है कि इस समय देश में 60 करोड़ लोग जल समस्या से जूझ रहे हैं। साथ ही वहीं करीब दो लाख लोगों की हर साल साफ पानी की कमी से मौत हो जाती है। रिपोर्ट के मुताबिक 2030 तक देश में पानी की मांग आपूर्ति के मुकाबले दोगुनी हो जाने का अनुमान है। इससे करोड़ों लोग इस त्रासदी के घेरे में आ जाएंगे और जल संकट का सामना करेंगे।
नीति आयोग द्वारा जारी 'समग्र जल प्रबंधन सूचकांक' में गुजरात गुजरात पहले पायदान पर है, वहीं सबसे निचले पायदान पर झारखंड है। सूचकांक भूमिगत, जल निकायों के स्तर में सुधार, सिंचाई, कृषि गतिविधियां, पेय जल, नीति और संचालन व्यवस्था समेत कुल 28 विभिन्न संकेतकों को आधार बनाकर तैयार किया गया है।रिपोर्ट में शामिल तथ्यों की मानें तो 84 प्रतिशत ग्रामीण घरों में पाइप के जरिए पानी की सप्लाई नहीं है। जिसकी वजह से हर कोई आपमे घर में बोरबेल करवाकर मनचाहे अनुपात में पानी निकाल रहा है। अगर यही हालात रहे तो 2030 तक 40 प्रतिशत जनसंख्या के पास पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं होगी। गौरतलब है कि जल गुणवत्ता सूचकांक की वैश्विक रिपोर्ट में भारत 122 देशों में से 120वें स्थान पर है।